Saki Ki Lokpriya Kahaniyan

Saki Ki Lokpriya Kahaniyan

Hardback (18 Mar 2018) | Hindi

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Publisher's Synopsis

''या बात है? या खोज रहे हो तुम यहाँ?'' अचानक नींद से जागे और अचंभित वाल्डो ने वैन ताह्न से पूछा, जिसे पहचानने में उसे कुछ समय लगना स्वाभाविक था। ''भेड़ ढूँढ़ रहा हूँ।'' जवाब आया। ''भेड़?'' वाल्डो चीख पड़ा। ''हाँ, भेड़।'' ''तुम या समझते हो, मैं कोई जिराफ की खोज में आया हूँ।'' ''मैं नहीं समझता कि दोनों में से कोई भी तुमको मेरे कमरे में यों मिलनेवाला है।'' वाल्डो ने गुस्से में पलटकर जवाब दिया। ''रात के इस समय, मैं इस विषय पर बहस नहीं कर सकता।'' बर्टी ने कहा और वह जल्दी-जल्दी मेज की दराजों में हाथ डालकर खोजने लगा। कमीजें और कच्छे उड़-उड़कर फर्श पर गिरने लगे। ''यहाँ कोई भेड़ नहीं है, मैं तुमसे कहता हूँ।'' वाल्डो चिल्लाया। ''मैंने तुमको सिर्फ कहते सुना है।'' बर्टी ने बिस्तर के अधिकतर कपड़े जमीन पर फेंकते हुए कहा, ''अगर तुम कुछ छिपा नहीं रहे होते तो तुम इतने उोजित नहीं होते।'' इस समय तक वाल्डो समझ चुका था कि वैन ताह्न पागलों जैसा बरताव कर रहा है और फिर वह उससे ठिठोली करने लगा। -इसी संग्रह से --1-- साकी के नाम से यात महान् कहानीकार हैटर ह्यूग मुनरो ने समाज में व्याप्त सभी तरह की विसंगतियों, असमानताओं एवं मानवीय संबंधों के बीच के द्वंद्व को अपनी कहानियों में उतारा है, जो रोचक तो हैं ही, पाठकीय-रस से सराबोर हैं।

Book information

ISBN: 9789386001856
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Prabhat Prakashan Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 178
Weight: 364g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 14mm