Publisher's Synopsis
राधा और कृष्ण एक रूप हैं। उनके प्रेम का आधार है-कर्तव्यपराणयता तथा विश्वकल्याण की भावना। राधा और कृष्ण के पवित्रतम प्रेम संबंध को 'राधा की पाती, कृष्ण के नाम' के माध्यम से परिलक्षित किया गया है, जिसमें संयोग है, वियोग है तथा त्याग की पराकाष्ठा है। रास एवं महारास के माध्यम से दोनों के लौकिक प्रेम को नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो सांसारिक मानव को आनंद, सुख तथा शांति प्रदान करेगा। आधुनिक काल में कामना और प्रेम की एकरूपता के विरुद्ध यह एक धर्मयुद्ध है। आशा है कि आधुनिक पीढ़ी इस कृति से प्रेरणा ग्रहण करके प्रेम के वास्तविक रूप को ग्रहण करेगी। उसे आनंद एवं सुख की अनुभूति होगी।