Paryavaran Adhyayan

Paryavaran Adhyayan

Paperback (20 Jul 2023) | Hindi

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Publisher's Synopsis

ग्रीन इकोनॉमी इस बात पर जोर देती है कि क़ुदरती संसाधनों के संरक्षण के लिए जो लक्ष्य तय किए गए हैं, उन्हें हासिल किया जाए । मानव के विकास का पथ ऐसा होना चाहिए जिसमें वो क़ुदरती संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ तरक़्क़ी कर सके और दोनों ही ख़ुशी से साथ रह सकें । पर्यावरण को संरक्षित रखते हुये विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना ही ग्रीन ग्रोथ है । जब पर्यावरण को बचाने के साथ आर्थिक विकास भी हो तो ये ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी कहलाता है । ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी के लिए कुछ जरुरी कदम उठाने आवश्यक हैं । पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ग्रीन ग्रोथ इकोनॉमी आवश्यक है । हरित अर्थव्यवस्था आने वाले भविष्य को ज़्यादा से ज़्यादा हरा भरा बनाने पर जोर देती है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए अब 'हरित विकास' के विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ सहयोग और सह-अस्तित्व में विश्वास करती है । भारतीय वेदों मे जानवरों और पौधों सहित प्रकृति के सभी घटकों में सर्वोच्च शक्ति ईश्वर की कल्पना की गई है। इसीलिए छोटे से छोटे पौधे या जानवर को अनावश्यक रूप से मारना या यहाँ तक कि नुकसान पहुँचाना भी वर्जित माना गया है। न केवल जीवित बल्कि निर्जीव वस्तुओं जैसे पहाड़, नदी, झील, आदि को परमात्मा का अभिन्न अंग माना जाता है और उनकी रक्षा के प्रयास किए गए हैं। प्रकृति के सूक्ष्मतम कण के साथ भी एकत्व का अनुभव करना और जहाँ तक हो सके प्रकृति को कम से कम नुकसान पहुँचाना भारतीय जीवन का आदर्श रहा है। यही कारण है कि प्राचीन भारतीयों के पास जो कुछ भी थोड़ा बहुत था, उसी में संतुष्ट रहते थे। जब अधिक पाने, अधिक जमा करने और अधिक उपभोग करने की इच्छा प्रबल हो जाती है, तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो जात

Book information

ISBN: 9789357338981
Publisher: Alpha Edition
Imprint: Writat
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 106
Weight: 263g
Height: 279mm
Width: 216mm
Spine width: 6mm