Paron Ko Khol

Paron Ko Khol

Paperback (18 Jan 2017) | Hindi

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Publisher's Synopsis

शायरी का जन्म भावनाओं से होता है और भावनाएँ पैदा होती है जीवन के आस-पास के उन तत्वों के स्वाभाव और बर्ताव से जो शायर के जीवन में कभी जाने और कभी अनजाने में प्रवेश करते हैं. ये तत्व प्रेम बनकर व्यक्ति के मन में खिलते और शरीर में महकते हैं, ख़ुशी बन कर चेहरे पर मुस्काते और खिलखिलाते हैं, पीड़ा बनकर आखों से आँसूं कि तरह बहते हैं, क्रोध बनकर ज़बान पर गाली की तरह आते हैं और कभी-कभी अपनी सीमा लाँघकर हाथापाई, लाठी-डंडा, तलवार और बन्दूक तक पहुँच जाते हैं.शायर की पीड़ा उसकी आँखों में आँसूं बनकर नहीं आती बल्कि उसकी क़लम में रौशनाई का काम करती हैं. ऐसी ही यात्रा की तस्वीर है 'परों को खोल', जहाँ शायर इस बदली दुनिया को देखता-परखता है और अपने मिज़ाज़ के मुताबिक उसे क़लम से उकेरता है.यह शकील आज़मी की श्रेष्ठ रचनाओं का संकलन है जो हर एक पढ़ने और सुनाने वाले को अपना बना लेती है.

Book information

ISBN: 9788183227957
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Manjul Publishing House Pvt. Ltd.
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 194
Weight: 254g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 11mm