Publisher's Synopsis
सुप्रसिद्ध कथाकार हिमांशु जोशीजी के उपन्यासों, कहानियों की तरह उनके अविस्मरणीय यात्रा वृत्तातों की भी अपनी अलग विशेषता है। पढ़ते-पढ़ते पाठक को लगने लगता है कि इन यात्राओं में लेखक के साथ-साथ वह भी यात्रा कर रहा है।
परिभ्रमण करने का शौक दुनिया में बहुत से लोगों को रहता है। बहुत से लोग गृह-त्याग की परम्परा का अनुगमन करते हैं तो ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो परिवार-संसार के बीच रहकर जीवन भर यायावर बने रहते हैं।
सैर कर दुनिया की गाफिल जिन्दगानी फिर कहाँ ?
जिन्दगी गर कुछ रही, तो नौजवानी फिर कहाँ ?