Publisher's Synopsis
मेरा एक सुखद स्वप्न है कि सभी जन आपस में प्रेम-प्यार से मिलकर रहेंगे तथा घृणा, ईर्ष्या, द्वेष का कहीं कोई स्थान नहीं होगा। आने वाले समय में भारत विश्व का मार्ग दर्शक बनेगा। भारत सच्चा स्वर्ग होगा तथा 'सोने की चिड़िया' कहलाएगा। भारत में सुख, समृद्धि और ज्ञान की त्रिवेणी बहे, भारत फिर से अपने प्राचीन जगद्-गुरु पद को प्राप्त करे। मेरे सपनों के भारत में शोषण, अन्याय, बेरोजगारी, भूखखमरी, महंगाई, अराजकता, आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार आदि का कहीं कोई नामों-निशान नहीं होगा। स्वार्थों के बजाय परोपकार, मानव सेवा और राष्ट्रहित को ही प्रमुख महत्त्व दिया जाएगा। मेरे सपनों के भारत में राजनीति सत्ता हथियाने का जरिया नहीं बल्कि मानव कल्याण का व्रत होगा। राजनीतिज्ञ कभी अपनी मनमानी नहीं करेंगे तथा वे अपनी प्रजा के दुख तकलीफ को अपना समझकर उसके निदान की दिशा में तत्पर रहेंगे। धर्म एवं जाति के नाम पर कभी किसी प्रकार की लड़ाई-झगड़े नहीं होंगे। मानवमात्र का एक ही धर्म होगा और वह धर्म होगा प्रेम का, अहिंसा का, शान्ति का और भाईचारे का।