Mantra Raja Mantra (मंत्रा राजा मंत्रा)

Mantra Raja Mantra (मंत्रा राजा मंत्रा)

Paperback (04 May 2023) | Hindi

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Publisher's Synopsis

सृजनकर्ता इस सृष्टि को अपने अनुपम सृजन से इस प्रकार सजाता संवारता रहता है कि प्रत्येक क्षण, प्रत्येक पल यह संपूर्ण श्रृंगारमयी नवयौवना की भांति स्फूर्ति स्मरणीय एवं कलात्मक बनी रहे। बोध भी जहां मूक हो जाए। स्मृतियां स्मरण के गहरे पटल पर ऐसी छवि अंकित करे कि युगों-युगान्तरों तक भी वह स्मरण मूल प्रकृति से जुड़ा रहे। विद्या अपने आप में विधी को नियंत्रित करे एवं विधी-विधा के हाथों एक शालीन इतिहास बनकर प्रस्तुत हो।
समय की अमिट छाप भूत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य की ओर एक दृढ़ संकल्पित स्तम्भ के रूप में सम्मुख आती है। यही प्रेरणा वास्तव में संकल्पों - विकल्पों एवं अनेक प्रकार के वादों-विवादों को परिभाषा सहित पलटने का सामर्थ्य रखती है। कलाओं की परिक्रमा की दृष्टि भी संपूर्ण रूप से स्वयं में नियति द्वारा प्रदत्त वह ज्ञान है जहां प्रभु स्वयं अपनी प्रभुसत्ता छोड़कर बाल रूप में आकर शिष्य तत्त्व को प्राप्त करते हैं और गुरु को आदर देकर अपने ही हाथों परमोच्य स्थान पर प्रतिष्ठित कर अपने ही रूप स्वरूप का अभिवादन करते हैं। इस दृष्टिकोण में व्यापकता, साहसिकता और गरिमा लिए हुए वह व्यक्तित्व छलकता है जहां सभी बोधमय हो जाता है। इस बोधमयी गंगा में जो स्नान कर गया वह तर गया अतः भागीरथ प्रयत्न के पश्चात् ही गंगा दर्शन और गंगा स्नान संभव हुआ। अलबेली दुनिया के अलबेले मालिक ने क्या-क्या नहीं प्रस्तुत किया। उसी प्रस्तुति की 'मूल कड़ी से जुड़ा एक नाम है कोलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ (आचार्य जगदीश शर्मा) जो कि अपने त्याग, उत्साह, लगन व कठोर परिश्रम की मधुर बेला में बैठकर आज इस जगत को अपने अनुपम ज्ञान द्वारा गंगा की तरह तरणी का बोध लेकर प्रस्तुत है।

Book information

ISBN: 9789356846173
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 202
Weight: 263g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 12mm