Kalikaal Katha Part 2 Tripund Kakshah

Kalikaal Katha Part 2 Tripund Kakshah

Paperback (27 Jan 2021) | Hindi

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Publisher's Synopsis

हाथों पर आड़ी तिरछी रेखाएँ तो विधाता ने सबके ही हाथों में खींची हैं लेकिन उनको इच्छानुसार बदलने वाली तकदीरें लेकर सिर्फ कुछ ही लोग पैदा होते हैं। ऐसा ही महामानव है- कल्कि, जो तकदीर को भी बदलने की क्षमता रखता है। आयामों की भूलभुलैया, समय चक्र में विकृति, सुसुप्तावस्था से जाग्रत विचित्र नरभक्षी जीव तथा अधमृत जानवरों के झुण्ड को झेलते हुए कल्कि की रोमांच, रहस्यों व अनिश्चितताओं से परिपूर्ण यह गाथा आपको एक ऐसे रोलर कोस्टर रुपी ख्यालों के बवंडर में ले जाएगी जो आँखों के सामने साक्षात् नरक प्रकट कर देगी। क्या कल्कि भारतीय सभ्यता के महान सप्त चिरञ्जीव की सहायता से इस भीषण संकट का सामना कर पायेगा? आयामों के दरमियान फँसी परम कुंजी को खोज पायेगा? रहस्यमयी नगरी ज्ञानाश्रम, पवित्र कैलाश पर्वत व विध्वंसकारी ब्रह्मास्त्र के सत्य से पर्दा उठा पायेगा? क्या होगा जब साढ़े तीन हजार वर्षों के बाद अश्वत्थामा फिर से युद्ध के मैदान में उतरेगा? इन प्रश्नों के अकल्पनीय व अविश्वसनीय उत्तर निश्चित ही आपकी न्यूरोलॉजिकल दिलचस्पी को उच्चतम स्तर पर ले जायेंगे।

Book information

ISBN: 9789388556538
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Anjuman Prakashan
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 244
Weight: 313g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 14mm