KHOI HUI KADIYAN (खोई हुई कड़ियाँ)

KHOI HUI KADIYAN (खोई हुई कड़ियाँ)

Paperback (12 Mar 2020) | Hindi

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Publisher's Synopsis

खोई हुई कड़ियां राकेश कुमार सिंह का प्रस्तुत उपन्यास भारतीय समाज में गहराते मूल्यों के दुर्भिक्ष और संवेदनाओं के अकाल में पत्रकारिता के उच्च मानदंडों के प्रति आस्थावान एक खोजी पत्रकार की खोज-यात्रा है। ""जस्टिस डिलेज़ इज़ जस्टिस डिनाएड... न्याय में विलंब अन्याय है!"" भारतीय न्यायालयों में महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ यह भी लिखा होता है...""वादकारी का हित सर्वोच्च है।"" इन आप्तवाक्यों की विडंबना यह कि आंखों पर पट्टी बंधी न्यायप्रतिमा के नास्टेल्जिया में डूबी भारतीय न्याय व्यवस्था ने ही ""रिमांड प्रिजनर"", ""अंडरट्रायल प्रिजनर"" या ""विचाराधीन कैदी"" नामक मनुष्य की ऐसी विशिष्ट प्रजाति को जन्म दिया है जो बिना किसी सुनवाई-फैसले के मानों जेल नामधारी किसी अंतहीन सुरंग में कैद है। कुछ लोग तो बीस-तीस वर्षों से और फिलवक्त उन पर आरोप तक तय नहीं किए जा सके हैं। लगभग बारह हजार भारतीय जेलों में न्यायिक अभिरक्षा के नाम पर बंद लगभग ढाई करोड़ मामलों में तकरीबन तीन लाख ऐसे दोपाए समाजशास्त्रीय अध्ययन, चिकित्सा मनोविज्ञान,शोध या आंकड़ों के ""सर्वे सैंपल"" बने जिए जा रहे हैं।इनकी नारकीय जीवन स्थितियां और जटिल मनोविज्ञान हिंदी साहित्य में प्राय अनुपस्थित है। एक खोजी पत्रकार ऐसे ही एक कैदी की खोज में, उसके जीवन की खोई हुई कड़ियों की तलाश में निकलता है तो यह खोज मात्र एक मामूली कैदी की वैयक्तिक त्रासदी और मन स्थितियों से आगे पुलिस तंत्र की संदेहास्पद भूमिका, प्रशासनिक अव्यवस्था, भारतीय कारागारों की अमानवीय स्थितियों,न्यायप्रणाली की विडंबनाओं, अपराध और दंड की मारक विसंगतियों की पोस्टमार्टम डायरी बन जाती है।

Book information

ISBN: 9789390410064
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Jvp Publication Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 128
Weight: 172g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 8mm