JIHADI PARINDE

JIHADI PARINDE

Paperback (22 Jun 2019) | Hindi

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Publisher's Synopsis

क्या आपने आसपास कोई ऐसा किरदार देखा है जो एक तरह से सेक्स बीमार हो। जिसके लिये कोई भी, कैसी भी औरत एक लजीज दोप्याजे गोश्त की हांडी से ज्यादा और कुछ नहीं... औरत का हर अंग जिसमें एक उत्तेजना पैदा करता हो... कंसंट्रेट करते-करते जिसने अपनी कल्पनायें इतनी जीवंत कर ली हों कि वह दुनिया की किसी भी लड़की औरत के साथ एक आभासी संसर्ग में भी वैसा ही मजा पा लेता हो जैसा कोई इंसान हकीकत के संसर्ग में पायेगा।



इस कहानी का किरदार एक ऐसा ही शख्स दया शंकर दूबे है जो लखनऊ का रहने वाला एक आम इंसान है लेकिन जिसकी उन्मुक्त यौनेच्छायें उसे ऐसी साजिश के गहरे भंवर में फंसा देती हैं जहां से उसका निकलना लगभग असंभव हो जाता है। लखनऊ से ले कर अमेरिका और योरप तक उसे वह सारा रोमांच, वह सारा सुख मिलता है, जिसका वह भूखा था, जिसके लिये वह किसी भी हद तक जा सकता था, लेकिन यह सब उस परिणति की कीमत थी जिसकी देहरी पर अंततः उसे पहुंचना पड़ा।



एक छोटी सी नौकरी से उसके नये जीवन का जो सिलसिला शुरू होता है वह पैसे और प्रॉपर्टी के लिये बुनी गयी साजिश को पार करते हुए उसे एक जिहादी नेटवर्क के साथ जोड़ कर अंततः मौत के गहरे कुएं में धकेल कर ही ख़त्म होता है।



हम हर शख्स को नैतिकता के तराजू पर नहीं तौल सकते... कुछ लोगों के लिये इसकी कोई वर्जना नहीं होती, उन्हें वह सब ही आकर्षित करता है जो अनैतिक हो, अतिवाद हो, अपरिमार्जित हो... दया शंकर दूबे एक ऐसा ही शख्स था।

Book information

ISBN: 9781645876854
Publisher: Repro Books Limited
Imprint: Notion Press Media Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 204
Weight: 263g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 12mm