Bindo Ka Ladka

Bindo Ka Ladka

Paperback (03 Mar 2022) | Hindi

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Publisher's Synopsis

इसे वे ही नहीं बल्कि बाहर के लोग भी भूल गए थे कि यादव मुखर्जी और माधव मुखर्जी दोनों सगे भाई नहीं हैं। जाने कितनी तकलीफें उठाकर बेचारे यादव मुखर्जी ने अपने छोटे भाई माधव को कानून की शिक्षा दिलाई थी। बड़ी मेहनत व कोशिशों के बाद कहीं वे धनी-मानी जमींदार की एकमात्र संतान, पुत्री बिंदुवासिनी को अपनी भ्रातृ बहू बनाकर घर में लाए थे। बहू बिंदुवासिनी बहुत ही रूपवती थी, असाधारण सुंदरी। पहले ही दिन जब बहू बिंदुवासिनी अपना बेजोड़ रूप तथा दस हजार रुपयों के प्रामेसरी नोट लेकर घर में आई थी तब बड़ी बहू अन्नपूर्णा की आँखों से आनंद के आँसू लुढ़कने लगे थे। घर में सास-ननद तो थी नहीं। वे ही घर की मालकिन थीं। उसी दिन छोटी देवरानी का मुँह अपने हाथों से ऊपर उठाकर उन्होंने जाने कितने गर्व से पड़ोसिनों के सामने कहा था 'घर में बहू आवे तो ऐसी! हूबहू लक्ष्मी का रूप।' मगर दो ही दिनों में उन्हें पता लग गया कि उनका सोचना गलत था। दो ही दिन में सर्वविदित हो गया कि बहू अपने साथ जिस नाप-तौल से रूप व रुपया लाई है उससे कई गुना ज्यादा अहंकार व अभिमान भी साथ लेती आई है। फौरन ही बड़ी बहू ने अपने पति को एक ओर बुलाकर कहा, 'क्यों जी, क्या रूप और रुपयों की गठरी को ही देखकर बहू को ले आए थे, जाना-पहचाना भी था? यह तो काली नागिन है, नागिन!

Book information

ISBN: 9789352662708
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Prabhat Prakashan Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 170
Weight: 222g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 10mm