Adeena

Adeena

Paperback (21 May 2024) | Hindi

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Publisher's Synopsis

यात्रा का दिन आ गया। अदीना के फटे कपड़े भी सिल चुके थे। रास्ते के लिये कुछ रोटी और खाने की चीजें भी तैयार हो चुकी थी। वादे के अनुसार संगीन भी आ पहुँचा। इस दिन के लिये बीबी आइशा ने खास तौर से घी के साथ पुलाव पकाया था। उन्होंने मिलकर खाना खाया, खुर्जी और थैले को गधे पर लाद बीबी आइशा ने अदीना को अपनी गोद में दबा लिया। बेचारी के ताकत नहीं थी, कि कोई बात कहती। वह केवल अपनी आँखों से छः- छः पांत आँसू बहाने लगी। संगीन दरवाजे के बाहर गली में एक घंटा प्रतीक्षा करता रहा, किन्तु अदीना का कहीं पता नहीं था। इसलिये उसने आवाज़ दी "जल्दी कर। अगर देर हुई, तो हम आज रात को मंजिल पर न पहुँचेंगे और फरगाना जाने वाले कारवाँ का साथ न हो सकेगा।" ताशकंद की सड़कों पर बन्दूक और मशीनगन चलने की आवाज़ आ रही थी। लोग हर तरफ भाग रहे थे। दुकानें बन्द थीं। दरवाजे और खिड़कियाँ गोलियों के लगने से टूटी- फूटी और सूराखों से भरी थीं। शाह डरता काँपता, गलियों से बेरास्ते होकर, अपनी दुकान में पहुँचा। यह स्वाभाविक ही था, कि दूसरी दुकानों और हाटों की भाँति इस समय शाह मिर्जा का समावार-खाना भी बन्द होता। पीछे का दरवाजा खोल, उसने दुकान में आकर देखा, कि वहाँ 15-20 अपरिचित आदमी इकट्ठा होकर बैठे हैं। उनमें से हर एक बार-बार अपनी जगह से उठकर, हाल जानने के लिये वेदों और दरारों से बाहर सड़क की ओर देखता है। यह वह लोग थे, जिन्होंने गड़बड़ी शुरू होने के समय ही भाग कर इस दुकान में शरण ली थी।

Book information

ISBN: 9789356829107
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Prabhakar Prakashan Private Limited
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 146
Weight: 150g
Height: 198mm
Width: 129mm
Spine width: 9mm