Publisher's Synopsis
यह पुस्तक खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो आने वाले दिनों में आर्थिक और बिजनेस पत्राकारिता करने की इच्छा रखते हैं। उन लोगों के लिए भी यह पुस्तक बेहद उपयोगी है जो पहले से पत्राकारिता के इस क्षेत्रा में काम कर रहे हैं, लेकिन अपनी समझ कोे और विस्तार देना चाहते हैं। 1991 से शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद जिस तेजी से मीडिया का विस्तार हुआ उतना कभी नहीं हुआ। मीडिया के इस विस्तार के साथ-साथ देश में आर्थिक पत्राकारिता भी आगे बढ़ी है और अब तो हिंदी में भी कई आर्थिक और बिजनेस अखबार, पत्रिकाएं, खबरिया चैनल और वेब पोर्टल चल रहे हैं। वहीं मुख्यधारा की मीडिया में भी आर्थिक खबरों का महत्त्व पिछले कुछ सालों में कापफी बढ़ गया है। इसलिए अब किसी भी तरह की पत्राकारिता करने वाला पत्राकार दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि उसका आर्थिक खबरों से कोई लेना-देना नहीं है। इन्हीं जरूरतों को समझते हुए इस पुस्तक में उन सभी बातों को शामिल किया गया है जोे आर्थिक और बिजनेस पत्राकारिता में आने वाले या पिफर पहले से काम कर रहे लोगों की आर्थिक समझ को गहराई देगी।