Maa (मां)

Maa (मां)

Paperback (13 Apr 2021) | Hindi

  • $24.36
Add to basket

Includes delivery to the United States

10+ copies available online - Usually dispatched within 7 days

Publisher's Synopsis

''हम क्रान्तिकारी हैं और उस समय तक क्रान्तिकारी रहेंगे जब तक इस दुनिया में यह हालत रहेगी कि कुछ लोग सिर्फ हुक़्म देते हैं और कुछ लोग सिर्फ़ काम करते हैं। हम उस समाज के ख़िलाफ हैं जिनके हितों की रक्षा करने की आप जज लोगों को आज्ञा दी गयी है। हम उसके कट्टर दुश्मन हैं और आपके भी और जब तक इस लड़ाई में हमारी जीत न हो जाय, हमारी और आपकी कोई सुलह मुमकिन नहीं है। और हम मजदूरों की जीत यकीनी है!* आपके मालिक उतने ताकतवर नहीं हैं जितना कि वे अपने आपको समझते हैं। यही सम्पत्ति जिसे बटोरने और जिसकी रक्षा करने के लिए वे अपने एक इशारे पर लाखों लोगों की जान कुर्बान कर देते हैं, वही शक्ति जिसकी बदौलत वे हमारे ऊपर शासन करते हैं, उनके बीच आपसी झगड़ों का कारण बन जाती है और उन्हें शारीरिक तथा नैतिक रूप से नष्ट कर देती हैं। सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है। असल बात तो यह है कि आप सब लोग, जो हमारे मालिक बनते हैं हमसे ज़्यादा गुलाम हैं। हमारा तो सिर्फ़ शरीर गुलाम है, लेकिन आपकी आत्मायें गुलाम हैं । आपके कंधे पर आपकी आदतों और पूर्व-धारणाओं का जो जुआ रखा है उसे आप उतारकर फेंक नहीं सकते। लेकिन हमारी आत्मा पर कोई बंधन नहीं है। आप हमें जो जहर पिलाते रहते हैं वह उन जहरमार दवाओं से कहीं कमजोर होता है जो आप हमारे दिमागों में अपनी मर्जी के ख़िलाफ उँड़ेलते रहते हैं। हमारी चेतना दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और सबसे अच्छे लोग, वे सभी लोग जिनकी आत्मायें शुद्ध हैं हमारी और खिंचकर आ रहे हैंय इनमें आपके वर्ग के लोग भी हैं। आप ही देखिये-आपके पास कोई ऐसा आदमी नहीं है जो आपके वर्ग के सिद्धान्तों की रक्षा कर सके; आपके वे सब तर्क खोखले हो चुके हैं जो आपको इतिहास के न्याय के घातक प्रहार से बचा सकें, आपमें नये विचारों को जन्म देने की क्षमता नहीं रह गयी ह

Book information

ISBN: 9789390504664
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Diamond Books
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 336
Weight: 426g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 19mm