Publisher's Synopsis
लोगों की जान से ज़्यादा कीमती कुछ भी नहीं है... सभी की अपनी-अपनी प्राथमिकताएं हैं, उन्हें चुनाव लड़ना है और हमें लोगों की जान बचाना है... सत्ता और षड्यंत्रों के गलियारों में शेष इंसानियत की असाधारण कहानी। समकालीन राजनीति के भीतर तटस्थ दृष्टि से किया गया एक यथार्थ आकलन। महामारी से उपजी त्रासदी को ऐसे रूपक की शैली में प्रस्तुत किया गया है जिसमें रचना की सहजता बनी रहती है। उपन्यास की सरल और सहज भाषा इसे सम्प्रेषणीय और प्रभावी बनाती है।.