Publisher's Synopsis
यह पुस्तक ''हिन्दी के नौ सारथी'' आप सभी को समर्पित है। इसके सम्बन्ध में आपके उपयोगी संदेशों की कामना के साथ, अंत में यही कहना चाहूंगी कि हिंदी हमारी माँ है और हमें अपनी माँ के सेवा करनी चाहिए। क्योंकि माँ हमारा पालन-पोषण करती है, तो उस माँ को गौरवान्वित करना हमारा परम कर्तव्य है।
अरुण जैमिनी जी ने बहुत खूब कहा है जो हिन्दी भाषा की खूबसूरती और सम्पूर्णता दर्शाता है, ''हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसकी बिंदी भी बोलती है।'' और वर्षों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं के बीच चले आ रहे द्वंद्व को समझने के लिए मैं बेचैन जी की इन पंक्तियों के साथ अपनी लेखनी को विराम देना चाहूंगी कि-
''अंग्रेजी हमारे घर की खिड़की हो सकती है, दरवाजा नहीं,
लेकिन, हिंदी हमारे घर का दरवाजा है, खिड़की नही''
हिन्दी भाषा की सेवा के लिए कटिबद्ध और प्रयासरत