Publisher's Synopsis
ओशो के साथ बहुत कुछ असंभव संभव हुआ है, जैसे कि इस पुस्तक में झेन और सूफी जैसे दो विपरीत मार्गों का एक साथ जुड़ आना।
पुस्तक का प्रारंभ ओशो करते हैं कहीं अन्यत्र कहे अपने ही एक वचन की व्याख्या से और फिर लिए चलते हैं सूफी व झेन बोधकथाओं के जगत में, उन पर चर्चा करते हुए, उनकी परिस्थितियों को पुनरुज्जीवित करते हुए, हमें आमंत्रित करते हुए होश के शिखरों पर और प्रेम की अतल गहराइयों तक।