Kal Ugega Suraj

Kal Ugega Suraj

Hardback (15 Jul 2017) | Hindi

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Publisher's Synopsis

कहानी सबसे प्राचीन कला है। जब दर्शन, विज्ञान, इतिहास नहीं थे, तब भी कहानियाँ थीं। यह इतिहास की जननी है। यह वह दृष्टि है, जो परतों के भीतर झाँक लेती है। कल्पना एवं अनुभव को प्रकट करने की आकांक्षा का प्रतिफल है कहानी। यह अंतर्मन के अनुभवों व भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। दार्शनिक तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धांत कथाओं में ही मानवीय तरलता पाते हैं। रचनाएँ सूक्ष्म प्रक्रिया से गुजरती हैं, लगातार अपने भीतर उतरते जाना होता है, यह अनुभूति का क्षेत्र है। यह न अपने में समाधान है और न अध्यात्म। यह मन के भीतर चल रहे द्वंद्व से साक्षात्कार है। मन की दुनिया बड़ी निराली है। रचने का काम उगाने जैसा भी है। प्रत्येक कहानी लिखने से पहले किसान की तरह खेत की पूरी मिट्टी को कोड़ना पड़ता है। चेतना की गहराइयों में कोई बीज भूमि तोड़कर प्रकाश-दर्शन का मार्ग खोज रहा हो। रचना का सीधा संबंध जीवन से है। जो जीवन में है, वही साहित्य रचना में है। कहानी में एक पूरी जिंदगी आ जाती है। प्रसिद्ध कथाकार मृदुला बिहारी अपनी कहानियों में दार्शनिकता, मानवता तथा समाज के विविध पक्षों को बहुत सूक्ष्मता से उकेरती हैं। मानवीय संबंधों के महीन ताने-बाने का बोध कराती पठनीय कहानियाँ।

Book information

ISBN: 9788193433201
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Prabhat Prakashan Pvt Ltd
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 170
Weight: 355g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 14mm