51 Vyangya Rachnayen (51 व्यंग्य रचनाएँ)

51 Vyangya Rachnayen (51 व्यंग्य रचनाएँ)

Paperback (02 Dec 2022) | Hindi

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Publisher's Synopsis

हरीश नवल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी साहित्यकार हैं। उनकी सूक्ष्म पर्यवेक्षण दृष्टि उन्हें समकालीन अति महत्वपूर्ण व्यंग्यकारों की प्रथम पंक्ति में ला खड़ा करती है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत संकलन है। सन् 1987 में युवा ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने के बाद सुधि पाठकों और आलोचकों का ध्यानाकर्षण उनकी व्यंग्य-पुस्तक 'बागपत के खरबूजे' ने किया। यह कृति नव व्यंग्य लेखन का पर्याय बनी और बीसवीं शताब्दी की उल्लेखनीय कृतियों में स्थान बना सकी। बाद के पांच व्यंग्य संकलनों ने उनके कद को और बढ़ाया।
शैली की दृष्टि से जितनी विविधता उनकी व्यंग्य रचनाओं में है उतनी समकालीन व्यंग्य जगत में अन्यत्र दुर्लभ है। मुहावरे और लोकोक्तियों का विशिष्ट प्रयोग उनकी व्यंग्य-भाषा को एक मौलिक भंगिमा प्रदान करता है। उनकी शब्द क्रीड़ा उनकी व्यंग्यात्मक धार को निरंतर तेज करती है। उनके व्यक्तित्व की शालीनता, शिष्टता और सहजता उनके साहित्य का वैशिष्टय बनकर प्रस्तुत संकलन में उभरे हैं।
हरीश नवल के व्यंग्य साहित्य पर चेन्नै, श्रीनगर, हिमाचल, ग्वालियर और रूहेलखंड विश्वविद्यालयों में शोधकार्य हो चुके हैं। शोधार्थियों को जिन रचनाओं ने विशेषरूप से प्रभावित किया है, उसे इस संकलन में देखा जा सकता है। शुद्ध व्यंग्य का सामर्थ्य, निर्मल हास का पुट, सरल विनोद और गम्भीर सामाजिक सरोकारों से भरपूर है चुनी हुई रचनाओं का यह संकलन जो हरीश नवल का आंतरिक परिचायक है।

Book information

ISBN: 9788128838552
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Diamond Books
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 208
Weight: 268g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 12mm