जम्बूद्वीपे भरतखंडे महर्षि मार्क्स के हथकंडे: (एकल नाटक)

जम्बूद्वीपे भरतखंडे महर्षि मार्क्स के हथकंडे: (एकल नाटक)

Paperback (01 Feb 2022) | Hindi

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Publisher's Synopsis

जब कार्ल मार्क्स को मृत्युलोक से धरती पर कुछ पल बिताने का मौका मिलता है, तो वे चुनते हैं हिंदुस्तान की यात्रा करना। यहाँ पहुँचकर वे खोलते हैं अपने जीवन के अध्याय और इसी क्रम में खुलने लगती हैं भारतीय समाज की न जाने कितनी परतें . . .

"पता नहीं आपको कैसा लग रहा होगा मुझे यहाँ मौजूद देख कर? आप सोच रहे होंगे, 'मार्क्स अभी तक ज़िंदा है? हमने तो सुना था और सोचा था कि . . . वो तो मर गया। उन्नीसवीं सदी में ना सही - तो 1989 में तो definitely मर गया था मार्क्स।' आपने ठीक सोचा था। मैं 1883 में ही मर गया। पर अब तक ज़िंदा भी हूँ। जी हाँ, 'मर गया हूँ - पर ज़िंदा हूँ'। हःहःहः! इसी को तो कहते हैं dialectics या द्वंद्ववाद - द्वंद्वात्मकता।"

Book information

ISBN: 9789392017100
Publisher: Repro India Limited
Imprint: Leftword Books
Pub date:
Language: Hindi
Number of pages: 82
Weight: 113g
Height: 216mm
Width: 140mm
Spine width: 5mm